चरोटा भाजी एक जंगल, खेत, में पाये जाते हैं ये सब्जी जो भारत के कई हिस्सों, खासकर उत्तर भारत, मध्य भारत और आदिवासी इलाकों में पाई जाती है। इसे स्थानीय भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। “चरोटा”, “चरौटा”, या “चरोटा साग” के नाम से प्रचलित यह वनस्पति एक प्रकार की जंगली साग है जो पहली बारिश लगते ही बरसात के मौसम में उगती है।
चरोटा भाजी जंगल, खेत, में पाये जाते हैं
इसका पहचान: छोटे गोल हरे पत्ते और कुछ हद तक पालक या बथुआ जैसे होते हैं। स्वाद: थोड़ा कसैला या तीखा (थोड़ा कड़वापन हो सकता है)।उपलब्धता: जंगलों, पहाड़ी इलाकों, खेत की मेडों या खुले स्थानों में खुद-ब-खुद उगती है।
इसका उपयोग: इसको साग की तरह पकाया जाता है। कई लोग इसे दाल सरसों, पालक या बथुआ के साथ मिलाकर बनाते हैं। इसे प्याज, लहसुन, हरी मिर्च और सरसों के तेल में भूनकर स्वादिष्ट सब्जी बनाई जाती है।कभी-कभी इसे चना दाल या मक्का के आटे के साथ भी मिलाकर पकाया जाता है।
औषधीय गुण: आयुर्वेद में इसे पाचन सुधारने वाला और खून साफ करने वाला माना गया है।इसमें आयरन, फाइबर, विटामिन A और C जैसे पोषक तत्व हो सकते हैं।आदिवासी समुदाय इसे पारंपरिक औषधि के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं।
सावधानी: कुछ जंगली साग देखने में एक जैसे होते हैं लेकिन सभी खाद्य नहीं होते। इसलिए चरोटा को पहचान कर ही तोड़ें या स्थानीय जानकार लोगों से जानकारी लेकर ही इसका सेवन करें। अगर आपके पास चरोटा की तस्वीर हो तो मैं पुष्टि कर सकता हूँ कि वही पौधा है या नहीं।