DoT ने फर्जी सिम कार्ड धारकों की पहचान के लिए मुहिम तेज कर दी है। दूरसंचार विभाग सिम कार्ड वेरिफिकेशन के लिए AI शील्ड का इस्तेमाल करने की तैयारी कर ली है। इसके लिए नया इकोसिस्टम डेवलप किया गया है। दूरसंचार विभाग ने बताया कि इससे फर्जी डॉक्यूमेंट्स के जरिए सिम कार्ड नहीं खरीदा जा सकेगा। इसके अलावा यह एआई शील्ड यूजर के सिम कार्ड को सुरक्षित करेगा।
दूरसंचार विभाग ने X हैंडल से यह जानकारी शेयर की है। DoT ने अपने पोस्ट में बताया कि सिम फ्रॉड के खिलाफ भारत का AI शील्ड। नकली या फर्जी डॉक्यूमेंट्स के जरिए मोबाइल सिम के दुरुपयोग से निपटने के लिए, दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने ASTR विकसित किया है जो भारत के दूरसंचार इकोसिस्टम को सुरक्षित, स्मार्ट और धोखाधड़ी प्रतिरोधी बना रहा है। यह सिर्फ प्रौद्योगिकी नहीं है – यह कार्रवाई में विश्वास, पारदर्शिता और सुरक्षा है।
क्या है ASTR?
दूरसंचार विभाग ने दावा किया है कि ASTR एक ऐसा टूल है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI के जरिए फेस रिकॉग्निशन पर बेस्ड सॉल्यूशन से लैस है। इसमें यूजर के फेशियल वेरिफिकेशन के जरिए टेलीकॉम सब्सक्राइबर्स को वेरिफाई किया जाएगा। यह तरीका बढ़ते साइबर फ्रॉड को रोकने में कारगर साबित होगा। अगर, किसी ने फर्जी डॉक्यूमेंट के जरिए सिम कार्ड जारी करवाया है तो AI बेस्ड फेस रेकॉग्निशन फीचर डॉक्यूमेंट को वेरिफाई करेगा। डॉक्यूमेंट वेरिफाई नहीं होने पर सिम कार्ड को ब्लॉक कर दिया जाएगा।
इस तरह से सब्सक्राइबर डेटाबेस को इस नए AI टूल के जरिए चेक किया जाएगा। जितने भी फर्जी डॉक्यूमेंट के जरिए सिम कार्ड इस्तेमाल किए जाएंगे उन्हें ब्लॉक करने का काम किया जाएगा। पिछले दिनों दूरसंचार विभाग ने बताया कि साइबर क्राइम में लिप्त 4.2 करोड़ से ज्यादा सिम कार्ड को ब्लॉक करने का काम किया गया है। इन सिम कार्ड का इस्तेमाल करके यूजर्स को कॉल या मैसेज के जरिए ठगा जाता था। दूरसंचार विभाग ने संचार साथी पोर्टल के माध्यम से रिपोर्ट किए गए नंबरों की जांच की और उसे ब्लॉक करने का काम किया है।