Breaking news: खुशियों के बीच मातम गरियाबंद जिले के शांत और सुरम्य पक्तियां गांव में सोमवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे गांव को स्तब्ध कर दिया। गांव के 20 वर्षीय युवक खिलेश्वर ध्रुव का शव स्कूल के पीछे बेलवा पेड़ से लटकता हुआ मिला। एक होनहार युवा की इस तरह मौत की खबर सुनकर पूरा गांव शोक में डूब गया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, खिलेश्वर ध्रुव रविवार को गांव में आयोजित एक छठी कार्यक्रम में शामिल हुआ था। वहां उसने अन्य ग्रामीणों के साथ भोजन किया, हंसी-मजाक किया और पूरी तरह सामान्य दिखाई दे रहा था। किसी को अंदेशा तक नहीं था कि अगले ही दिन उसकी जिंदगी का अंत हो जाएगा। कार्यक्रम के बाद से ही वह लापता था, लेकिन परिवार या गांव वालों ने ज्यादा संदेह नहीं किया।
सोमवार की सुबह जब गांव का एक युवक शौच के लिए स्कूल के पीछे गया, तो उसकी नजर बेलवा पेड़ पर लटके शव पर पड़ी। पास जाकर देखने पर वह खिलेश्वर निकला। यह मंजर देखकर युवक चीख पड़ा और तुरंत गांव वालों को बुलाया। छुरा थाना पुलिस को सूचना दी गई, जो कुछ ही देर में मौके पर पहुंच गई।
पुलिस ने शव को पेड़ से नीचे उतरवाया और पंचनामा कार्रवाई कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
पुलिस ने मौके से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं किया है, जिससे यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि युवक ने आत्महत्या जैसा गंभीर कदम क्यों उठाया।
छुरा थाना प्रभारी का कहना है कि, “शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। परिजनों और ग्रामीणों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। फिलहाल आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चला है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।”
गांव में मातम का माहौल
खिलेश्वर ध्रुव की मौत से गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। हर कोई स्तब्ध है कि जो युवक कल तक हंसता-बोलता दिखाई दे रहा था, उसने ऐसा खौफनाक कदम क्यों उठाया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मां बार-बार बेसुध हो जा रही है, और पिता की आंखें शून्य में टिकी हैं – जैसे यकीन ही नहीं हो रहा हो कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा।
क्या थी कोई पारिवारिक या मानसिक परेशानी?
पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या युवक किसी मानसिक तनाव, प्रेम संबंध या पारिवारिक विवाद से गुजर रहा था। गांव वालों के अनुसार, वह एक शांत और मेहनती युवक था, जो किसी से विवाद नहीं करता था।
विशेष रिपोर्ट:
आखिर कब थमेंगी युवा आत्महत्याएं? क्या ग्रामीण क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की कमी ही बन रही है कारण?
गरियाबंद जैसे शांत जिले में भी अब युवा आत्महत्याएं चिंता का विषय बनती जा रही हैं। ऐसे मामलों में न केवल पुलिस और प्रशासन को सजग होना होगा, बल्कि समाज और परिवार को भी समय रहते हस्तक्षेप करना होगा।