गरियाबंद/छुरा। होली पूरे देश में मनाए जाने वाला एक विशेष पर्व है, यह त्यौहार मार्च महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है। होली का त्यौहार भक्त प्रहलाद कि ईश्वर के प्रति अनन्य भक्ति और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्यौहार के पहले दिन होली का रूपी बुराई का सत्य रूपी अग्नि में दहन किया जाता है। फिर अगले दिन जीत की खुशी को रंग और गुलाल की होली खेल कर मनाया जाता है।
यह दर्शाता है कि बसंत आ गया है और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई। इस होली त्यौहार पर एक दूसरे को रंगों और पानी से रंगते है, और अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर एक दूसरे पर पानी और रंग लगाते हैं।
होली का त्यौहार से एक दूसरे के प्रति प्रेम बढ़ता है
आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता रेखराम ध्रुव ने बताया कि हमें अप्राकृतिक (केमिकल युक्त) रंगों से होली नहीं खेलने चाहिए बल्कि प्राकृतिक फुल (टेशू फूल) की रंगों से होली खेलनी चाहिए इस प्राकृतिक रंग से हमारे शरीर के कई छोटे-मोटे बीमारी दूर होती है,व हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होता है। इस पर सामेश्वर यदु, भोला दिवान, सेवक, फामेश, मिंकेतन, कुंज, मिथुन ,संजू,हेमंत, कान्हा, आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता रेखराम ध्रुव सभी ने एक दूसरे को गुलाल लगाकर बधाई दिए।