घरघोड़ा : बीजेपी की ऐतिहासिक हार ! 9 पार्षदों के बावजूद उपाध्यक्ष पद गंवाया, कांग्रेस ने खेली मास्टरस्ट्रोक बाजी…
रायगढ़। जिले के घरघोड़ा में बीजेपी को ऐसी शिकस्त मिली है, जिसने पार्टी की साख को धूल में मिला दिया। नगर पंचायत उपाध्यक्ष चुनाव में बीजेपी के पास बहुमत होने के बावजूद कांग्रेस ने ऐसी चाल चली कि सत्ता की बाजी पलट गई। 15 में से 9 पार्षदों वाली बीजेपी अपने ही गढ़ में धाराशायी हो गई और कांग्रेस ने 9 वोट बटोरकर उपाध्यक्ष पद पर कब्जा जमा लिया।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि बीजेपी के बहुमत के बावजूद आखिर ऐसा क्या हुआ कि कांग्रेस ने उसे पटखनी दे दी? जवाब साफ है- बीजेपी की गुटबाजी, रणनीतिक असफलता और अपनों की बगावत।
बीजेपी के भीतर ही छुपे थे हार के गुनहगार : घरघोड़ा में बीजेपी की हार की सबसे बड़ी वजह उसके अपने ही पार्षद बने। पार्टी के 9 पार्षदों में से 2 ने बगावत कर कांग्रेस को वोट दे दिया, जिससे कांग्रेस के कुल वोट 9 हो गए और बीजेपी 7 पर सिमट गई। इस गद्दारी ने बीजेपी की अंदरूनी कलह को बेनकाब कर दिया। सवाल यह है कि आखिर इन पार्षदों ने अपनी ही पार्टी को डूबोने का फैसला क्यों लिया? क्या पार्टी के नेता अपने ही कार्यकर्ताओं में विश्वास खो चुके हैं? अगर बीजेपी अपने ही पार्षदों को साथ नहीं रख पाई, तो यह सिर्फ एक चुनावी हार नहीं बल्कि पार्टी के ढहते हुए किले की पहली ईंट है।
बीजेपी के दिग्गजों को जनता ने दिखाया आइना : घरघोड़ा वही क्षेत्र है, जहां बीजेपी के कई बड़े नेताओं की साख दांव पर लगी रहती है। यहां बीजेपी को अजेय माना जाता था, मगर इस हार ने साफ कर दिया कि अब पार्टी का किला हिल चुका है। जो नेता खुद को सबसे बड़ा रणनीतिकार मानते थे, वे अपनी ही पार्टी को एकजुट नहीं रख पाए। कांग्रेस ने इस कमजोरी को समझा और पूरी तैयारी के साथ वार किया।
बीजेपी की रणनीति फेल, कांग्रेस का मास्टरस्ट्रोक : घरघोड़ा में कांग्रेस के सिर्फ 4 पार्षद थे, लेकिन उसने निर्दलीयों और असंतुष्ट बीजेपी पार्षदों को अपने खेमे में कर लिया। कांग्रेस प्रत्याशी अमित त्रिपाठी ने बीजेपी की आंतरिक कलह को भांपते हुए चालाकी से खेल खेला और नतीजा यह हुआ कि बीजेपी के गढ़ में ही कांग्रेस ने अपनी जीत दर्ज कर ली।
क्या यह घरघोड़ा में बीजेपी के पतन की शुरुआत? : घरघोड़ा की हार सिर्फ एक चुनावी हार नहीं बल्कि बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है। गुटबाजी, अनुशासनहीनता और गलत फैसले पार्टी को लगातार कमजोर कर रहे हैं। अगर यही हाल रहा, तो आने वाले बड़े चुनावों में भी बीजेपी को करारी शिकस्त झेलनी पड़ सकती है।
बीजेपी के लिए अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वह इस हार से सबक लेगी या फिर खुद की गलतियों के कारण गर्त में चली जाएगी? यह हार सिर्फ एक चुनाव की नहीं, बल्कि बीजेपी के डगमगाते भविष्य की तस्वीर है। अब देखना होगा कि पार्टी इस शर्मनाक पराजय से उबरने के लिए क्या कदम उठाती है, या फिर यह हार उसका नया अंजाम लिखने वाली साबित होगी!