गरियाबंद : विगत कुछ दिनों पहले अनु विभागीय अधिकारी छुरा के द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत मुड़ागांव में तीन अनाथ बच्चों की जानकारी प्राप्त हुई जिसमें से दो बालिका एवं एक बालक है जिनके दोनों माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है श्री शैलेंद्र नागदेवे नोडल अधिकारी बाल कल्याण समिति के द्वारा बताया गया की अनाथ बच्चों के संबंध में जानकारी मिलने पर महिला बाल विकास के उच्च जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री अशोक पांडे के द्वारा तत्काल कार्रवाई करते हुए बाल संरक्षण अधिकारी अनिल द्विवेदी के नेतृत्व में जांच कराया गया और तीनों बालक बालिकाओं को बाल कल्याण समिति गरियाबंद में प्रस्तुत किया गया बच्चों को देखने पर व सामान्य पूछताछ करने पर पता चला की वास्तव में बच्चे के माता पिता की मृत्यु हो चुकी है प्रथम दृष्टया तीनों बालक बालिकाओं को खाने-पीने व रहने की कोई सुविधा मौजूद नहीं थी और वे कुपोषित भी लग रहे थे श्री शैलेंद्र नागदेवे बताते हैं की बाल कल्याण समिति बच्चों के देखरेख संरक्षण एवं सर्वोत्तम हित में कार्य करती है समिति के माननीय अध्यक्ष के आदेशानुसार तीनों अनाथ बालक बालिका को आदिवासी आवासीय छात्रावास गरियाबंद में दाखिल कराया गया है अनाथ बच्चों को शासन की वित्तीय सहायता के लिए बनी स्पॉन्सरशिप योजना के तहत बच्चों को जोड़ा जाएगा
श्री शैलेंद्र नागदेवे द्वारा बताया गया महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत जिला बाल संरक्षण इकाई के अधीन अनाथ बेसहारा व कमजोर वर्ग के बच्चों की पढ़ाई एवं बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए स्पॉन्सरशिप योजना बनी हुई है जिसमें प्रत्येक परिवार के प्रत्येक बच्चे को प्रतिमाह 4000 रुपए बच्चे के खाते में डाला जाता है जिससे वह अपनी आगे की पढ़ाई एवं बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके
बाल कल्याण समिति के नोडल अधिकारी शैलेंद्र नागदेवे द्वारा जिला गरियाबंद के समस्त ग्राम पंचायतों के जनप्रतिनिधियों एवं नागरिकों से अपील की है की अगर कोई अनाथ बेसहारा या अत्यंत कमजोर वर्ग के बच्चे जो केवल कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं ऐसे बच्चों की जानकारी सीधे महिला बाल विकास विभाग गरियाबंद जिला बाल संरक्षण इकाई गरियाबंद या बाल कल्याण समिति जिला गरियाबंद को दी जा सकती है समस्त बच्चों की विस्तृत जांच कर निर्धारित मापदंडों के आधार पर शासन की स्पॉन्सरशिप योजना से जोड़ने की कार्रवाई किया जावेगा
शैलेंद्र नागदेवे बताते हैं की बच्चों के पुनर्वास के लिए बनी बाल कल्याण समिति जिसे किशोर न्याय बालकों की देखरेख एवं संरक्षण अधिनियम 2015 की धारा 27 के तहत प्रथम न्यायिक मजिस्ट्रेट की शक्ति प्राप्त है मे किसी भी प्रकार से पीड़ित बच्चों को प्रस्तुत किया जा सकता है आजकल की सबसे बड़ी समस्या बच्चों के द्वारा मोबाइल फोन का गलत प्रयोग करना है आम नागरिकों से अपील है कि वह अपने बच्चों के द्वारा मोबाइल में की गई कार्यविधि की जांच करें अधिकतर मामले समिति में जो आते हैं उसमें अधिकतर बालिकाएं इंस्टाग्राम फेसबुक लूडो गेम या इसी प्रकार के सोशल एप्स के माध्यम से लड़कों से दोस्ती करके उनके चुंगल में फंस कर अपने घर और माता पिता को छोड़कर उनसे मिलने चली जाती है जिस कारण उनके साथ बहुत अप्रिय घटना घट जाती है इस प्रकार की कोई घटना ना घटे इसके लिए प्रत्येक बच्चे के माता-पिता को अपने बच्चे के प्रति सतर्क रहने वह उनकी प्रतिदिन की दिनचर्या पर निगरानी रखने की आवश्यकता है
विशेष पिछड़ी जनजाति के अनाथ कमार जाति के बच्चों को शिक्षा एवं आवास की सुविधा दिलाया गया
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