वर्ष 2014 से संचालित चिरायु योजना इन भुंजिया परिवार तक नहीं पहुंच पाई
फिंगेश्वर। गरियाबंद जिला के विकासखंड फिंगेश्वर के ग्राम पंचायत बोरिद भुंजिया पारा के निवासी आनंदराम भुंजिया जिनके पत्नी 3 वर्ष पहले निधन होने के कारण 4 बच्चों का भरण पोषण अपने स्तर पर कर रहे हैं। जिनको शासन-प्रशासन से अभी तक किसी भी प्रकार से आर्थिक सहायता नहीं मिल पाया है। आनंदराम भुंजिया के एक बेटा छबीराम व तीन बेटी है, उनमें से एक बेटी कु. सिद्धेश्वरी भुंजिया 12वर्ष(कक्षा पांचवी) में पढ़ रही है और दो बेटी कु. टिकेश्वरी 12वर्ष व कु. रोशनी नहीं पढ़ रही है । इन दोनों बेटियों के शरीर में कुछ अलग तरह की शारीरिक समस्या है। राशन कार्ड में कु. रोशनी का नाम भी नहीं जुड़ा है न ही इनका आधार कार्ड बना हैं। आनंदराम भुंजिया ने बताया कि इनकी आर्थिक स्थिति खराब होने से अपने बेटे को उत्तर प्रदेश काम पर भेजा है। इन परिवार को ना तो रोजगार की कोई सुविधा मिला है, नहीं इनके बच्चों को अभी तक स्पॉन्सरशिप के तहत कोई भी मदद अभी तक नहीं मिल पाया है।
चिरायु योजना इस कार्यक्रम का उद्देश्य शून्य से 18 वर्ष के बच्चों का 4 चरणों में स्क्रीनिंग की जाती है। बच्चों में 35 तरह की बीमारियों का चिरायु में इलाज का प्रावधान है, ज्ञात हो कि चिराई योजना अंतर्गत सरकार गाड़ी भी चला रही है। छत्तीसगढ़ सरकार स्वास्थ्य संबंधित कई योजनाओं का क्रियान्वयन करती है। जिसमें से एक चिरायु योजना है। यह योजना खास बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए तैयार की है। छत्तीसगढ़ चिरायु योजना वर्ष 2014 से खास तौर पर बच्चों के लिए शुरू किया गया है, यदि इनमें से किसी बच्चे में कोई बीमारी पाई जाती है तो उसका निशुल्क इलाज किया जाता है। चिरायु योजना की जिम्मेदारी अधिकारी कर्मचारी की लापरवाही की वजह से कई बच्चों तक नहीं पहुंच पा रही है।
कई बच्चे जन्मजात से ही कुछ बीमारियों के साथ पैदा होते हैं, वही कुछ अशुद्ध भोजन व अन्य किसी कारण से गंभीर बीमारी का शिकार हो जाते हैं। बच्चों का चेकअप ना हो पाने की वजह से यह बीमारियां उनके शरीर में धीरे-धीरे बढ़ती जाती है, और गंभीर रूप ले लेती है, चिरायु योजना का उद्देश्य बच्चों की बीमारी को गंभीर स्थिति में पहुंचने से पहले ठीक करना होता है, चिरायु योजना के माध्यम से आंगनबाड़ी, स्कूल व अन्य स्थानों पर चिरायु टीम द्वारा जांच केंद्र स्थापित कर जांच करना होता है, ताकि बच्चों को लाभ व जानकारी हो सके, लेकिन यहां सिर्फ कागजों पर है जमीनी स्तर पर नहीं दिख रहा।
प्रदेश में विशेष पिछड़ी जनजाति हर विकासखंड में निवासरत है। जिनमें से चिन्हाकीत के क्षेत्रों में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजातियों हेतु योजनाओं के बनाने, क्रियान्वयन , अनुश्रवण एवं मूल्यांकन हेतु गवर्निंग बॉडी के गठन का प्रावधान है। जिसमें विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय के सदस्यों के रूप में शासन स्तर से 2 वर्षों के लिए मनोनीत किया जाता है ताकि इन विशेष पिछड़ी जनजातियों का विकास हो करके लेकिन विडंबना है कि यह अपने ही हाल में जैसे तैसे अपने जीवन बिता रहे हैं। इन परिवारों के लिए आर्थिक मदद की शासन प्रशासन से गरियाबंद जिले के इंडियन रेड क्रॉस संरक्षक सदस्य व समाजसेवी मनोज पटेल ने गुहार लगाई है। सहयोगी साथी धनेश निषाद, संदीप सिन्हा, डिकेश साहू,रेखराम ध्रुव सभी ने आर्थिक सहायता के लिए शासन प्रशासन से अपील की।