मॉस्को। रूस और यूक्रेन युद्ध को एक साल से अधिक का वक्त बीत चुका है लेकिन अब लगता है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जल्द ही जंग को खत्म करने के मूड में हैं। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को कहा कि यूक्रेन से जंग के बीच अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की धमकी के बीच रूस का पहला परमाणु हथियार बेलारूस पहुंच चुका है। सेंट पीटर्सबर्ग अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंच की मेजबानी करते समय रूस के राष्ट्रपति ने कहा कि हथियारों का पहला जत्था बेलारूस भेज चुके हैं। वहीं, बचे हुए हथियारों को गर्मी के अंत तक पहुंचा दिया जाएगा।
रूस के राष्ट्रपति ने कहा कि हमने ये कदम इसलिए उठाया ताकि कुछ लोग समझ रहे हो कि हम पर नियंत्रण कर सकेंगे तो गलत हैं। हालांकि, उन्होंने कड़े शब्दों में कहा कि हम इनका इस्तेमाल तभी करेंगे जब रूस के किसी भी क्षेत्र को खतरा होगा। पुतिन ने कहा कि हम पूरी दुनिया को धमकी क्यों देने लगे। मैंने पहले ही कहा है कि रूसी राज्य को खतरा होने पर ही इसका उपयोग किया जाएगा।
बता दें, परमाणु हथियारों को तैनात करने की समयसीमा तय करने के करीब 10 दिन बाद पुतिन ने इसकी जानकारी दी है।
जबकि, इससे पहले कहा जा रहा था कि जुलाई के पहले सप्ताह से पहले हथियार तैनात नहीं हो सकेंगे। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंच की मेजबानी करते समय रूस के राष्ट्रपति ने साफ कर दिया है कि हथियारों की तैनाती हो चुकी है। कार्यक्रम का आज अंतिम दिन है।
पुतिन के बयान के बाद अमेरिकी सरकार का कहना है कि ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है कि क्रेमलिन यूक्रेन पर हमला करने के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है। वहीं, एक दिन पहले खबर आई थी कि बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्सांद्र लुकाशेंको ने पुष्टि की थी कि उन्हें मिसाइलें और बम मिले हैं। ये बम 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बमों से तीन गुना ज्यादा खतरनाक बताए जा रहे हैं।
इन हथियारों को रखने के लिए सोवियत संघ के समय के छह परमाणु ठिकानों को ठीक किया गया। उन्होंने कहा, पश्चिम के देश 2020 से हमें कई टुकड़ों में तोडऩा चाहते थे। हमेशा से हम उनका निशाना रहे हैं। लुकाशेंको ये भी कहा हैं कि वो रूस के परमाणु हथियारों को अपने बॉर्डर वाले इलाकों पर तैनात करेंगे। लुकाशेंको ने कहा, अगर जरूरत पड़ी तो हम इन हथियारों का इस्तेमाल करने से हिचकिचाएंगे नहीं। इसकी मंजूरी के लिए मुझे सिर्फ पुतिन को फोन करने की जरूरत होगी। हालांकि, रूस ये साफ कर चुका है कि इन पर नियंत्रण रूस का ही रहेगा।