शिवरीनारायण। छत्तीसगढ़ की गरीब जनता के हिस्से का चावल, शक्कर, नमक और केरोसिन-जिससे भूखे पेट भरते हैं, रात का दिया जलता है, वो सब शासकीय उचित मूल्य राशन दुकान भवतरा से सात साल पहले ही निगल लिया गया था। और इस पूरी सुनियोजित लूट के पीछे थे वही लोग जिन पर भरोसे का ठप्पा था – महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष, सचिव और विक्रेता।
2018 में उजागर हुआ था घोटाला, मगर कार्रवाई आई 2025 में -क्या सत्ता ने बचा रखा था गुनहगारों को तत्कालीन खाद्य निरीक्षक ज्योति मिश्रा ने वर्ष 2018 में शिकायत की जांच की। रिपोर्ट ने साफ बताया कि राशन दुकान से 478.54 क्विंटल चावल, 16.27 क्विंटल शक्कर, 29.04 क्विंटल नमक और 1357 लीटर केरोसिन को गबन किया गया—कुल मिलाकर 17,37,619.33 रुपये की लूट। पर हैरानी की बात यह कि कोई गिरफ्तारी नहीं, न कुर्की, न कार्रवाई, न ही न्यायालय के आदेशों का पालन। मानो सबकुछ दबाने का एक अदृश्य तंत्र काम कर रहा हो।
2024 में बदली कुर्सी, तब जाकर जागा प्रशासन जब नवंबर 2024 में नवीन खाद्य निरीक्षक ने पदभार संभाला, तो वर्षों पुरानी ये फाइल फिर खुली। SDM पामगढ़ ने रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया। FIR पंजीबद्ध की गई—408, 34 IPC और 3/7 आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत। अब जाकर केशर बाई (अध्यक्ष), संगीता साहू (सचिव), और लालाराम कश्यप (विक्रेता) पर शिकंजा कसा गया। धोखा सिर्फ सिस्टम से नहीं, जिस महिला स्व सहायता समूह को सशक्तिकरण का प्रतीक माना जाता था, वो दरअसल संगठित गिरोह की शक्ल में सामने आया। ये कोई चूक नहीं थी, ये एक सुनियोजित डकैती थी ,जो राशन से गरीबी की रेखा से नीचे जी रहे लोगों के पेट पर मारी गई लात थी।
न जवाब, न संपत्ति-फिर भी खुलेआम घूमते रहे आरोपी नोटिस भेजा गया, जवाब नहीं आया। विक्रेता ने राशन लौटाने का नाटक किया, मगर कोई वसूली नहीं हुई। तहसीलदार ने साफ कहा-इनके नाम पर कोई संपत्ति नहीं है, यानी ये लोग गरीबों के राशन से अमीर बने और कानून को ठेंगा दिखा कर निकलते रहे।