गरियाबंद। भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दा बनाकर भाजपा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को मात देने के समकक्ष नजर आने लगी है। अब तो भाजपा ने 15 साल में क्या किया क्या नहीं किया यह मुद्दा गौण होता दिख रहा है। भाजपा का हर छोटा बड़ा नेता यहां तक की स्टार प्रचारक भी मुख्यमंत्री के व्यक्तिगत भ्रष्टाचार को उजागर कर भूपेश बघेल की छत्तीसगढ़ में वन मेन शो की छवि को धूमिल कर छत्तीसगढ़ की सत्ता को पुनः पाने दिन-रात 24 घंटे भूपेश बघेल का राग अलापने में लगे है। छत्तीसगढ़ राज्य आज लोकतंत्र के महापर्व छत्तीसगढ़ राज्य आज लोकतंत्र के महापर्व कहा जाने वाले चुनावी वैतरणी में पूरी तरह उतर चुका है। राज्य की दोनो प्रमुख पार्टिया ही नही अनेको क्षेत्रीय पार्टियों और निर्दलियों की किस्मत का फैसला बस होने ही वाला है। किसके सिर सजेगा ताज और किसको मिलेगा पाँच साल का बनवास बस चंद कदम की दूरी पर नये सूर्योदय की आस आज छत्तीसगढ़ की इस पावन धरा और भगवान राम की ननिहाल का निर्णय जनता जनार्दन रूपी भगवान के हाथ में है। इस तथाकथित लोकतंत्र जो वास्तव में भीड़तंत्र ही है का निर्णय तो नरमुंडो की गिनती के बल ही आना है अतः एव आज का चुनावी आशीर्वाद तो जनता ही देगी।
छत्तीसगढ के बेबाक और प्रथम सीएम के बिना चुनाव
कहना ना होगा कि छत्तीसगढ़ की यह पहला चुनाव है जो अपने पहले मुख्यमंत्री रहे स्वः अजीत जोगी के बिना ही लड़ा जा रहा है। जिससे यह चुनाव पहले तो मुद्दा विहीन नजर आ रहा था। लेकिन भाजपा ने कमर कसी और चुनाव आर-पार ही नही कांटे टक्कर का बना दी है। जिसमें महादेव ऐप के प्रमोटरों से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पैसा दिये जाने का मुद्दा जोर शोर से उठाया जा रहा है जिससे कांग्रेस में असमंजस की स्थिति निर्मित हो रही है और उन्हें इसकी कोई काट नजर नही आ रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने जनसभाओं में भ्रष्ट्राचार पर कड़ा प्रहार कर जहां कांग्रेस को बैकफूट पा ला दिया है और पूरी कांग्रेस पार्टी को मुख्यमंत्री के बचाव में उतरना पड़ रहा है जो शुभ संकेत तो बिल्कुल नही कहा जा सकता है। भाजपा, कांग्रेस और अन्य राजनैतिक पार्टियों का चुनावी घोषणा पत्रों का भी पूर्व की भांति इस चुनाव में व्यापक असर होने वाला है। कांग्रेस जहां कर्जमाफी की घोषणा के भरोसे चुनावी फसल काटने आश्वस्त नजर आ रही है वही भाजपा भी एक किश्त में धान खरीदी की भुगतान करने की जो वादा प्रदेश की जनता से की है जिससे आमजन और खासकर किसानों का एक वर्ग खासा उत्साहित नजर आ रहा है। क्योंकि उनकी मेहनत का फल कांग्रेस टुकड़ों में बाटकर जो देती है किसान उसे अपने परिश्रम का अपमान मानने लगी है। प्रदेश का अन्नदाताकिसान जो अपने कठोर परिश्रम से अन्न पैदा करती है उसपर प्रदेश का नौकरशाही, अफसरशाही और राजनैतिक नेताओं की तीकड़ी कुडली मार बैठी है जिसपर किसान निजात चाहते है और एकमुश्त भुगतान को ही उसका तोड़ के रूप में देख रहे है। हालांकि भाजपा ने कर्जमाफी की घोषणा नही की है बावजूद एकमुश्त भुगतान किये जाने की घोषणा को प्रदेश की जनता और किसानों ने हाथो हाथ लिया है। इसलिए भी भाजपा अब मुख्य मुकाबले में लौट आई जान पड़ता है। भाजपा, कांग्रेस की घोषणा पत्र जारी होने से चुनाव रोचक दौर में पहुचती प्रतीत हो रही है। एक ओर जहां इस चुनावी वैतरणी में कांग्रेस की नैया भ्रष्ट्राचार के भंवर में हिचखोली खा रही है वही भाजपा ज्यादातर नये चेहरो के बदौलत और तुरूप का पत्ता साबित हो रही एकमुश्त धान खरीदी का भुगतान किये जाने की घोषणा से मदमस्त हाथी की चाल चल रही है। भाजपा जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ को चुनाव में प्रचार की कमान देकर पूरी तरह से राज्य को मथने चली है वही कांग्रेस भी अपने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को चुनावी समर में दो-दो हाथ करने और अपने मुख्यमंत्री का बचाव करने मैदान में डटे हुए है। कांग्रेस पार्टी वर्ष 2018 के चुनाव में तुरूप का पत्ता साबित हुई कर्जमाफी किये जाने को इस बार भी जहां आजमा रही है वही भाजपा का सीधा आरोप है कि सिर्फ जिला सहकारी बैंक और ग्रामीण बैंक से ली गई लोन ही माफ किया गया था बाकि किसी भी बैंक का कृषि लोन को माफ ना कर कांग्रेस ने वादा खिलाफी किया था जिसका परिणाम इस चुनाव में भुगतना तो पड़ेगा ही। जहां भाजपा 15 साल सत्ता में रही और सरकारी नौकरी में व्यापम के माध्यम से जो धांधली की और मलाई उड़ाई उसे लेकर कांग्रेस आज भी प्रदेश की जनता को भाजपा और रमनसिंह का डर दिखा रही है कि भाजपा के आने पर फिर एक बार सरकारी नौकरीयों पर ग्रहण लग जायेगा साथ ही रमनसिंह और उसके परिवार का बिचौलियों की भूमिका भी जनता को याद दिला रही है। भाजपा भी धान खरीदी में भूपेश बघेल और उसकी सरकार द्वारा जमकर की जा रही भ्रष्ट्राचार को मुद्दा बना रही है साथ ही शराब घोटाले का जिन्न को फिर बोतल से बाहर निकालकर युवाओं को कांग्रेस द्वारा निगल जाने की दुहाई दी जा रही है। आरोप-प्रत्यारोपणों के इस दौर में प्रदेश की जनता और मतदाता बड़े चटखारे ले मजे ले रही है और कह रही है कि जो भी पार्टी सरकार में आयेगी असली मलाई तो नेता ही उड़ायेगे। जनता को तो लालीपाप दिखाई जा रही है वह भी घोषणाओं के रूप में। लेकिन आगामी छह माह में होने वाले लोकसभा चुनावों के दृष्टिगत कतिपय लोग उन्हे संजीदा भी बता रहे है।
राजिम विधानसभा पर एक नजर, बीजेपी प्लस कांग्रेस बनाम
बात राजिम विधानसभा की करते है और यहां का जमीनी हाल जानते है। यहा पर इस बार कांटे की टक्कर प्रतीत हो रही है। यहां पर कांग्रेस पत्याशी के खिलाफ भयंकर नाराजगी जनता जनार्दन में देखने मिल रही है जो उनके बिते पांच साल तक लोगो से कटकर रहने का नतीजा जान पड़ता है। लोग चुनाव में धनबल और बाहुबल के बल पर जीतने वाले प्रत्याशी के तौर पर उन्हे देखने लगे है। पांच साल तक आमजन से नदारत रहने वाले नेता की छबि कांग्रेस प्रत्याशी ने गढ़ी है जो उन्हे भारी पड़ता मालूम होता है। इसका सीधा फायदा भाजपा प्रत्याशी को होने जा रहा है। राजिम वैसे तो कांग्रेस का गढ़ रहा है जिसमें कि छुरा और फिंगेश्वर क्षेत्र के मतदाताओं का अहम रोल रहा है यहा से कांग्रेस को एकतरफा वोट मिलते रहे है। चूंकि यह क्षेत्र पिछड़ा और आदिवासी बहूल है नतीजतन कांग्रेस का नोट और वोट का खेल इस क्षेत्र में हमेशा ही निर्णायक रहा है। बावजूद जब भी परिवर्तन की लहर रहती है तो यह क्षेत्र भी उस आंधी में औधे मुंह उड़ने विवश हो जाता है जिसका फायदा ही अब तक भाजपा को मिला है। बगैर निर्णायक मतदान के पासा कांग्रेस के पाले में पड़ती रही है लेकिन जब भी मैजूदा प्रतिनिधि से नाराजगी बढ़ती है भाजपा प्रत्याशियों की पौ-बारह होते रही है। नाराजगी की गंगा में ही भाजपा की चुनावी वैतरणी पार होती रही है जिसे दोनो प्रत्याशी और दोनो ही पार्टी बखूबी जानती और मानती भी है।
आज 7 नवंबर को मतदान के पहले दौर के बाद आने वाली राजनैतिक रिपोर्ट के बाद दोनों प्रमुख दल एक बार फिर अपने चल रहे चुनावी अभियान की समीक्षा कर 17 नवंबर के चुनाव के लिए अपनी रणनीति में कैसा बदलाव करते है यह देखना काफी दिलचस्प होगा।