गरियाबंद : प्राथमिक शाला सिर्रीखुर्द में गुरुपूर्णिमा मनाया गया।कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की पूजा अर्चना से किया गया।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानपाठक जगन्नाथ ध्रुव ने कहा की आज का दिन हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण हैं।गुरुपूर्णिमा एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे पूरे हिंदुस्तान में मनाया जाता है।गुरुपूर्णिमा पूरे भारत का प्रसिद्ध हिंदू बौद्ध त्योहार है और गुरुपूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।क्योंकि वेदव्यास जी के जन्मदिन पर मनाया जाता है इसे हिंदू,जैन,बौद्ध धर्म के लोग बड़े उत्साह से मनाते है। इस दिन चंद्रमा पूर्ण होता है यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।गुरुपूर्णिमा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष के दिन मनाया जाता है। इस दिन गुरुओं ,शिक्षको की पूजा व सम्मान किया जाता है इसी दिन भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपनापहला उपदेश दिया था।इसी दिन आश्रमों व मंदिरों में पूजा पाठ की व्यवस्था की जाती है यह हर साल जुलाई,अगस्त के माह में मनाया जाता है। इसी तारतम्य में आज हम 13 जुलाई को गुरुपूर्णिमा मना रहे है बिना गुरु का ज्ञान नही मिल सकता क्योंकि परमात्मा को भी गुरु की आवश्यकता पढ़ा था तो हम तो साधारण मनुष्य इसलिए गुरु का सम्मान सर्वोपरि है ।मानव का प्रथम गुरु माता – पिता होता है जो हमे जीवन जीने की शैली बताते है। हमारे लिए क्या फायदेमंद और क्या नुकसान दायक है यह माता-पिता के द्वारा ही जानकारी प्राप्त होती है। यदि माता-पिता हमारा पालन पोषण करते है तो गुरु हमे ज्ञान की अनोखी दुनिया दिखता है। इसलिए शास्त्र में कहा गया है ” *गुरू ब्रम्हा गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परमब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः”* आगे शिक्षक खोमन सिंह ने कहा की गुरु पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे पूरे हिंदुस्तान में मनाया जाता है क्योंकि गुरु ज्ञान की दीप है,ज्ञान का है भंडार,गुरु के चरणों के आशीष से जीतेंगे हर बार ,गुरु की शक्ति, गुरु की भक्ति कर देगी नैय्या पार, ज्ञान रूपी वरदान से रोशन होता है संसार , करलो गुरु की भक्ति भवसागर से हो जाओगे पार मिलेगा ज्ञान ही ज्ञान तुमको ,बदल जाएगा ये संसार ,सदियों से ये प्रथा चली है गुरू की महिमा बहुत बढ़ी है गुरू ही ईश्वर गुरु ही पूजा, गुरु के जैसा कोई न दूजा, गुरु के शिक्षा से ही तो मिलेगा मन सम्मान,गुरु है किस्मत की चाबी करो उसका सदा सम्मान। गुरु और समुद्र दोनो ही गहरे है पर दोनो में एक ही फर्क है समुद्र की गहराई में इंसान डूब जाता है,गुरु की गहराई में इंसान तर जाता है।
शाला प्रबंधन समिति के सदस्य *चूमेश वर्मा* ने सभी शिक्षको का नारियल श्रीफल,साल भेंटकर,गुलाल लगाकर सम्मान किया और अपने संबोधन में कहा की गुरु के बिना ज्ञान अधूरा है क्योंकि गुरु बदला लेने की नहीं जीवन में बदलाव लाने के लिए प्रेरित करता है। समझदार व्यक्ति वह नही है जो ईट का जवाब पत्थर से दे समझदार व्यक्ति वह है जो फेंकी हुई ईट से अपना आशियाना बना ले।गुरु हमेशा हमारा विकास चाहता है केवल गुरु ही अपने पढ़ाए बच्चो को अपने से आगे जाए ऐसा विचार सीखता है । गुरु पूर्णिमा का दिन ऐसा अवसर लेके आता है की हम अपने गुरु का सम्मान करने का कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्राप्त होता है।इसलिए यह दिन मानव कल्याण के लिए हितकारी है । आज के ही दिन प्राचीन समय में शिष्य अपने गुरुओं को गुरु दक्षिणा दिया करते थे। गुरु में पूरा संसार समाया हुआ है। परमात्मा ने भी गुरु का स्थान ऊंचा बताया है जिनके सिर पर गुरु और माता पिता को आशीर्वाद है उन्हे दुनिया का कोई भी ताकत नहीं हरा सकता, इसलिए यह दिन स्मरणीय है।
*कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित:-*
शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष ~ तेजराम साहू
सदस्य~ चुमेश वर्मा
प्रधानपाठक~ जगन्नाथ ध्रुव
शिक्षक ~ घनश्याम कवर,खोमान सिंह,लीलाराम मतावले
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता~ पूर्णिमा सेन,मंदाकनी साहू,निरूपा निषाद का विशेष योगदान रहा।
प्राथमिक शाला सिर्रीखुर्द में गुरुओं का किया सम्मान चुमेश वर्मा
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