अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के महिला प्रभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर स्थानीय सेवाकेंद्र प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय नवापारा के त्रिमूर्ति भवन में गत रविवार महिला दिवस बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। जिसका विषय भारत को विश्व गुरु बनाने में नारी की भूमिका रहा। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ व्याख्याता श्रीमती फखरा खानम दानी, श्रीमती ललिता अग्रवाल प्राचार्य, डॉ. उज्जवला शाह, श्रीमती धनेश्वरी दांडे, समाजसेवी एवम बैंक मैनेजर श्रीमती कामनी केला, बीके प्रिया बहन, बीके पुष्पा बहन, बीके पूजा बहन उपाथित रहीं।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन कर तथा नारी शक्ति के सम्मान से किया गया और साथ ही साथ कुमारी मुस्कान एवम खुशी ने नारी शक्ति को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया।
प्रिया बहन ने महिलाओं की आध्यात्मिक एवं भावनात्मक उन्नति की बात महत्वपूर्ण बताते हुए उन्हें दुर्गा, काली के रूप में निर्भयता की शक्ति से सम्पन्न बताया। दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती हम नारियां ही थीं लेकिन आज अपना वास्तविक स्वरूप का ज्ञान न होने के कारण भूल गई हैं। संसार में जितने भी महान लोग पैदा हुए हैं उनको जन्म देने वाली नारी है। महात्मा गांधी को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाली उनकी माता है एवम् शिवाजी जैसे महानपुरुष को जन्म देने वाली भी नारी है।
डॉक्टर उज्जवला शाह ने बताया कि आज नारी पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिला के चल रही हैं, नारी अबला नहीं सबला है। जहां नारी पुरुषो से कंधे से कंधे मिला के चल रही हैं उनको कई मुस्किलो का सामना करना पड़ता है। वर्तमान समय अगर लड़की के साथ किसी प्रकार की दुर्घटना हो जाए तब भी समाज लड़की को दोष देते हैं। हमे बदलाव अपने से लाना होगा । एक नारी ही नारी को उठा सकती है और दूसरे नारी का पतन भी करा सकती है।
वरिष्ठ व्याख्याता फखरा खानम दानी ने बताया कि महिलाओं में इतनी क्षमता है कि वें दुनिया में क्रांति ला सकती हैं। हिंदुस्तान एक ऐसा देश है जो संस्कृति से भरपूर है और हम महिलाएं संस्कृति को बनाने के लिए बच्चों का पालन पोषण करती हैं पुरुष नहीं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही ब्रह्माकुमारी पुष्पा बहन ने सभी अतिथियों का शब्दों से सम्मान करते हुए कहा कि नारी नर्क का नहीं स्वर्ग का द्वार है। मन की पवित्रता से हम समाज को बदल सकते हैं।
सबको संस्कार देने की जिम्मेवारी नारी के ऊपर है। नारी परिवार व समाज की नींव है। नारी अपनी आंतरिक शक्तियों को जगा कर स्वयं खुश रह कर परिवार को भी खुशहाल बना सकती है। भले ही लोग नारी को नरक का द्वार मानते हैं, किंतु हकीकत ये है कि नारी स्वर्ग का द्वार है। आज के समय में रोटी, कपड़ा और मकान की कमी नहीं है। कमी है तो अच्छे विचारों व अच्छे सोच की। परमार्थ की जगह को आज स्वार्थ ने ले रखी है। हमारे दुख का कारण अत्यधिक चाह है। अगर हम किसी भी चीज को अत्यधिक रूप में ग्रहण करते हैं, तो वह नुकसान ही करेगा।इस कार्यक्रम में लगभग 80 की संख्या में माताएं बहनें उपस्थित रहीं।