अपनी बूढ़ी मां और अपना 350 रुपये पेंशन में चला रहे हैं जीवन
छुरा। दिव्यांगों व वृद्धजनों गरीबों के जनकल्याण के लिए सरकार विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाने का दावा करती है लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों की अनदेखी के कारण उन योजनाओं का लाभ पात्र लोगों को सही समय पर नहीं मिल पाता इसकी वजह से पात्र हितग्राही शासन की अनेकों योजनाओं का लाभ लेने के लिए दर दर की ठोकर खाने को मजबूर होते हैं।
ऐसा ही मामला गरियाबंद जिले के ब्लॉक मुख्यालय छुरा ग्राम पंचायत बिरनीबाहरा के आश्रित ग्राम कुड़ेमा एक गरीब आदिवासी परिवार की है मोतीराम गोड जिनकी आंखों की रोशनी बचपन से नहीं है विशेष कमजोर समूह की श्रेणी गरीबी रेखा में आते हैं अपनी जीवन बेहाल जिंदगी से जीते आ रहे हैं घर में पानी तक साधन नहीं दोनों आंखों से दिव्यांग होने के बाद भी बाहर से पानी लाते हैं पीने को पानी न ही बिजली की कोई सुविधा उनके घर तक पहुंच पाए ग्रामीणों की मदद से रूखे सूखे खा रहे हैं।
राज्य सरकार के द्वारा शिक्षित बेरोजगार युवाओं को ₹2500 बेरोजगारी भत्ता दिया जा रहा है।विडंबना की बात है लेकिन गरीब पीड़ित दिव्यांगों के जीवन सुधार करने के लिए ऐसे परिवारों को भत्ता क्यों नहीं दिया जा रहा है।
गरियाबंद जिले के इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी संरक्षक सदस्य समाजसेवी मनोज पटेल ने दादी कुंवासी बाई और उनके दिव्यांग बेटे से हाल- जानने की कोशिश की लेकिन बूढ़ी दादी ने अपना तकलीफ बताने की भी स्थिति में नहीं है
ग्रामवासी नंद कुमार ध्रुव भूतपूर्व पंच महेश यादव ने बताया इस उम्र में भी वृद्ध आदिवासी महिला को पेंशन नहीं मिल पाता इस बात पर समाजसेवी मनोज पटेल ने नाराजगी जाहिर करते हुए शासन प्रशासन से पीड़ित परिवारों की मदद करने अपील किया है।