छुरा। आज देश की पहली महिला शिक्षक सावित्रीबाई फुले की जयंती है, जिन्होंने पहले खुद लंबी लड़ाई लड़कर पढ़ाई की बात की उसके बाद दूसरे लड़कियों को पढ़ने में मदद की। सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। भारत में शिक्षा पाना सभी का अधिकार है,लेकिन समाज में कई सामुदाय इससे लंबे समय तक दूर रहे।उन्होंने शिक्षा का अधिकार पाने के लिए लंबी संघर्ष की तब अपने जीवन के साथ साथ दूसरों के जीवन में भी शिक्षा का प्रकाश फैलाया। शिक्षा और समाज की तस्वीर बदली तब सावित्रीबाई फुले ने अपने पति दलित चिंतक समाज सुधारक महात्मा ज्योतिराव फुले से पढ़कर सामाजिक चेतना फैलाई थी। उन्होंने 19वीं सदी के स्त्रियों के अधिकारों, अशिक्षा, छुआछूत, सतीप्रथा, बाल या विधवा विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई थी,अंधविश्वास और रूढ़ियों की बेड़ीयां तोड़ने के लिए लंबा संघर्ष किया। इस अवसर प्रधानपाठक संतोष कुमार साहू, शिक्षिका दीपमाला मिश्रा, अशोक कुमार, रेखराम ध्रुव आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता, छत्तीसगढ़ शाकांभरी सेवा संस्थान के संस्थापक मनोज पटेल ने विशेष पिछड़ी कमार जनजाति के बच्चों को मिठाई भेंट कर कहा कि सावित्रीबाई फुले के बिना देश की शिक्षा और सामाजिक उत्थान की बात अधूरी है।