गरियाबंद। जिले की स्वसहायता समूह की महिलाओं ने धान, गोबर, मोती, बीज, बांस एवं रत्नजड़ित कलात्मक राखियों का निर्माण कर कमाल किया है। रक्षाबंधन त्यौहार पर महिलाओं द्वारा निर्मित राखी की 4 लाख 10 हजार रूपये से अधिक की बिक्री हुई है। जिला प्रशासन गरियाबंद की विशेष पहल से रक्षाबंधन त्यौहार के लिए महिलाओं द्वारा पैरी बंधन नाम से देशी राखी बनाया गया था। महिलाओं द्वारा बनाये गये देशी राखियों की डिमांड काफी अधिक रही। साथ ही लोगों ने बढ़चढ़ कर देशी राखियों को खरीदने में रूझान दिखाया। इसके फलस्वरूप महिलाओं द्वारा बनाये गये देशी और कलात्मक राखियां 4 लाख 10 हजार रूपये से अधिक की बिकी। इतने अधिक राशि की राखी बिक्री से समूह की महिला सदस्यों को काफी मुनाफा हुआ है। साथ ही पैरी बंधन राखियों की पहुंच जन-जन तक हुई है। इस दौरान जिले के पांचो विकासखण्ड के 22 समूहों की महिलाओं ने 41 हजार 230 राखियों का निर्माण किया। विकासखण्ड छुरा की 6 समूहों द्वारा 15 हजार 560, फिंगेश्वर की 5 समूहों द्वारा 10 हजार 600, गरियाबंद की 4 समूहों द्वारा 6 हजार 900, मैनपुर की 4 समूहों द्वारा 5 हजार 600 एवं विकासखण्ड देवभोग की 3 महिला समूहों द्वारा 2 हजार 570 राखियों का निर्माण किया।
उल्लेखनीय है कि कलेक्टर आकाश छिकारा के मार्गदर्शन में जिले के सभी विकासखण्डों में बड़े एवं बच्चों की कलात्मक पैरी राखियां का विविध कलाकृतियों के माध्यम से बड़े स्तर पर निर्माण किया गया। महिला समूहों द्वारा निर्मित राखियों के बिक्री के लिए गरियाबंद शहर स्थित सी-मार्ट और संयुक्त जिला कार्यालय परिसर में भी स्टॉल लगाया गया था। इसके माध्यम से लोग आसानी से राखियों की खरीदी किये। महिला स्व-सहायाता समूह की दीदियां द्वारा राखी तैयार करने में अनाज, धान, चावल, दालों के अलावा कुमकुम, मौली धागा का उपयोग किया गया था। समूह की दीदियों द्वारा बड़े पैमाने पर रत्नजड़ित, मोती, गोबर, बांस से भी राखी बनाई गई। इन राखियों की गरियाबंद एवं राजधानी रायपुर तक काफी मांग रही। महिला स्व-सहायता समूहों को राखी तैयार करने से लेकर बाजार उपलब्ध कराने तक में जिला प्रशासन द्वारा मदद किया गया। इन इको फ्रेंडली राखियों की कीमत 30 रूपये से लेकर 250 रूपये तक रखी गई थी। समूह की दीदियों को जिला प्रशासन द्वारा स्वावलंबी बनाने की दिशा में सशक्त प्रयास किया गया। पैरी बंधन के नाम से राखियां विभिन्न स्लोगनों जैसे बंधन नेह का, बहनों के स्नेह का, पुनीत बंधन, बढ़ेगा गौधन, आओ बच्चों बांधे, पैरी का पवित्र रक्षा सूत्र, बच्चों का हाथ, पैरी बन्धन के साथ, मोतियों से बंधा, पैरी का अटूट बंधन, रत्नों से जड़ा, पैरी का अटूट बंधन के साथ इस पैरी बंधन अभियान को चलाया गया।
जिले की स्व सहायता समूह की महिलाओं ने किया कमाल, 4 लाख रुपए से अधिक की बिकी बांस, गोबर, धान से बनी देशी राखियां
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